बीते बहुत दिन, लिखा नहीं एक शब्द बीते बहुत दिन, लिखा नहीं एक शब्द
सिर्फ खाना पीना और सोना सिर्फ खाना पीना और सोना
देख लेना कभी किसी चौराहे पर जहाँ मेरे होने की बिलकुल भी उम्मीद न हो! देख लेना कभी किसी चौराहे पर जहाँ मेरे होने की बिलकुल भी उम्मीद न हो!
आंखों में पले कुछ ख्वाबों को, ढूंढ रही थी मैं रंग बिरंगे सपनों को, जो टूट गए थे, ढू आंखों में पले कुछ ख्वाबों को, ढूंढ रही थी मैं रंग बिरंगे सपनों को, जो ट...
बहुत याद आते हैं वो बिताए पल, जब खूब मिलते थे सब संग संग, वो मां का लाड़, पापा का प्या बहुत याद आते हैं वो बिताए पल, जब खूब मिलते थे सब संग संग, वो मां का लाड़, प...
बिखरे हुए अल्फ़ाज़ों को पिरोया जाए, सोचा एक सूत्र में पिरो कर नज़्म बनाई जाए, लिखने से बिखरे हुए अल्फ़ाज़ों को पिरोया जाए, सोचा एक सूत्र में पिरो कर नज़्म बनाई जाए, ...